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\stitle{kuchh ishq kiyaa, kuchh kaam kiyaa}
\lyrics{Faiz Ahmed Faiz}
\singers{Faiz Ahmed Faiz}



वो लोग बहोत ख़ुश-क़िस्मत थे
जो इश्क़ को काम समझते थे
या काम से आशिक़ी करते थे
हम जीते जी मसरूफ़ रहे
कुछ इश्क़ किया, कुछ काम किया

काम इश्क़ के आड़े आता रहा
और इश्क़ से काम उलझता रहा
फिर आख़िर तंग आकर हमने
दोनो को अधूरा छोड़ दिया
<टाब्ळे Wईड्टः = ३०%>  
१९७६