% faiz15.s isongs output
\stitle{Tanahaaii phir koii aayaa dil-e-zaar nahii.n koii nahii.n}
\lyrics{Faiz Ahmed Faiz}
\singers{Faiz Ahmed Faiz}
फिर कोई आया दिल-ए-ज़ार नहीं कोई नहीं
रहरौ होगा कहीं और चला जाएगा
ढल चुकी रात बिख़रने लगा तारों का ग़ुबार
लड़खड़ाने लगे अएवानों में ख़्वाबीदा चिराग़
सो गैइ रस्ता तक तक के हर एक रहगुज़ार
अजनबी ख़ाक ने धुंदला दिये क़दमों के सुराग़
गुल करो शमेँ बड़ा दो मै-ओ-मीना-ओ-अयाग़
अपने बेख़्वाब किवाड़ों को मुक़फ़्फ़ल कर लो
अब यहाँ कोई नहीं, कोई नहीं आएगा
%[raharau = traveller; aewaano.n = palaces; ayaaG = cup, goblet; muqaffal = to lock]