% faiz17.s isongs output
\stitle{Soch kyuu.N meraa dil shaad nahii.n hai}
\lyrics{Faiz Ahmed Faiz}
\singers{Faiz Ahmed Faiz}
क्यूँ मेरा दिल शाद नहीं है क्यूँ ख़ामोश रहा करता हूँ
छोड़ो मेरी राम कहानी मैं जैसा भी हूँ अछा हूँ
मेरा दिल ग़म्ग़ीँ है तो क्या ग़म्ग़ीं ये दुनिया है सारी
ये दुख तेरा है न मेरा हम सब की जागीर है प्यारी
तू गर मेरी भी हो जाये दुनिया के ग़म यूँ ही रहेंगे
पाप के फंदे, ज़ुल्म के बंधन अपने कहे से कट न सकेंगे
ग़म हर हालत में मोहलिक है अपना हो या और किसी का
रोना धोना, जी को जलाना यूँ भी हमारा, यूँ भी हमारा
%[mohalik = fatal]
क्यूँ न जहाँ का ग़म अपना लें बाद में सब तदबीरें सोचें
बाद में सुख के सपने देखें सप्नों की ताबीरें सोचें
बे-फ़िक्रे धन दौलत वाले ये आख़िर क्यूँ ख़ुश रहते हैं
इनका सुख आपस में बाँतें ये भी आख़िर हम जैसे हैं
हम ने माना जुंग कड़ी है सर फूटेंगे,ख़ून बहेगा
ख़ून में ग़म भी बह जाएंगे हम न रहें, ग़म भी न रहेगा