ACZoom Home | ITRANS | ITRANS Song Book |
% faiz22.s isongs output
\stitle{dil-e-man musaafir-e-man}
\lyrics{Faiz Ahmed Faiz}
\singers{Faiz Ahmed Faiz}
% Contributed by Faisal Siddiqui
मेरे दिल मेरे मुसाफ़िर
हुआ फिर से हुक्म सादिर
के वतन बदर हों हम तुम
दें गली गली सदाएँ
करें रुख़ नगर नगर का
के सुराग़ कोई पाएँ
किसी यार-ए-नामाबर का
हर एक अजनबी से पूछें
जो पता था अपने घर का
सर-ए-कू-ए-नाशनायाँ
हमें दिन से रात करना
कभी इस से बात करना
कभी उस से बात करना
तुम्हें क्या कहूँ के क्या है
शब-ए-ग़म बुरी बला है
हमें ये भी था ग़निमत
जो कोई शुमार होता
हमें क्या बुरा था मरना
अगर एक बार होता
<टाब्ळे Wईड्टः = ४०%>
ळोन्दोन, १९७८
ट्ड> ट्ऱ> टाब्ळे>
%[saadir = announced; vatan badar = exiled]
%[naamaabar = letter carrier (postman)]
%[kuu-e-naashanaayaa.N = unknown streets]