% faiz29.s isongs output
\stitle{garmii-e-shauq-e-nazzaaraa kaa asar to dekho}
\singers{Faiz Ahmed Faiz}
गर्मी-ए-शौक़-ए-नज़्ज़ारा का असर तो देखो
गुल खिले जाते हैं वो साया-ए-दर तो देखो
%[saayaa-e-dar = doors shadow]
ऐसे नादाँ तो न थे जाँ से गुज़रनेवाले
नासिहो, रहबर-ओ-राहगुज़र तो देखो
%[naasiho = one who advises; rahabar = travelling companion]
वो तो वो हैं तुम्हें हो जायेगी उल्फ़त मुझसे
एक नज़र तुम मेरा महबूब-ए-नज़र तो देखो
वो जो अब चाक गरेबाँ भी नहीं करते हैं
देखनेवालो कभी उन का जिगर तो देखो
दामन-ए-दर्द को गुलज़ार बना रखा है
आओ एक दिन दिल-ए-पुरख़ूँ का हुनर तो देखो
%[gulazaar = garden; puraKuu.N = seeped in blood; hunar = skill]
सुबह की तरह झमकता है शब-ए-ग़म का उफ़क़
"फ़ैज़" ताबिंदगी-ए-दीदा-ए-तर तो देखो
%[ufaq = zenith; taabi.ndagii-e-diidaa-e-tar = brightness of tear-filled eyes]