% faiz33.s isongs output
\stitle{Nauhaa kabhii kabhii yaad me.n ubharate hai.n naqsh-e-maazii miTe miTe se}
\singers{Faiz Ahmed Faiz}
कभी कभी याद में उभरते हैं नक़्श-ए-माज़ी मिटे मिटे से
वो आज़माइश सी दिल-ओ-नज़र की, वो क़ुरबतें सी वो फ़ासले से
%[maazii = past; naqsh = trace/memories; aazamaa_ish = test; qurabate.n = nearness; faasale = distances]
(Sओमेतिमेस मेमोरिएस ओफ़ थे पस्त चोमे तो मिन्द, ब्लुर्रेद अन्द फ़ैन्त
सुब्त्ल्य तेस्तिन्ग थे हेअर्त अन्द एये, सोमे नेअर, सोमे फ़र अवय)
कभी आरज़ू के सेहरा में आके रुकते हैं क़ाफ़िले से
वो सारी बातें लगाव की सी वो सारे उनवाँ विसाल के से
%[seharaa = desert; qaafilaa = caravan; lagaav = attachment]
%[unavaa.N = start; visaal = meeting with a beloved]
(थेय स्तोप इन थे देसेर्त ओफ़ देसिरे, लिके चरवन्स हल्फ़-उन्सेएन
लिके वोर्द्स ओफ़ लोवे लेफ़्त उन्सैद, लिके अ मेएतिन्ग थत मिघ्त हवे बेएन)
निगह-ओ-दिल को क़रार कैसा निशात-ओ-ग़म में कमी कहाँ की
वो जब मिले हैं तो उन से हर बार की है उल्फ़त नये सिरे से
%[nishaat = joy]
(थे हेअर्त अन्द एये हवे फ़ोउन्द नो पेअचे, म्य जोय्स ओर सोर्रोव्स अरे नोत फ़ेव
एवेर्य्तिमे ई हवे मेत हेर, ई हवे स्तर्तेद तो लोवे हेर अनेव)
बहुत गिराँ है ये ऐश-ए-तन्हा कहीं सबुकतर कहीं गवारा
वो दर्द-ए-पिन्हाँ कि सारी दुनिया रफ़ीक़ थी जिसके वास्ते से
%[giraa.N = expensive; aish-e-tanhaa = luxury of loneliness]
%[sabukatar = oppressive; gavaaraa = acceptable; pinhaa.N = hidden]
%[rafiiq = friendly]
(थिस लुक्षुर्य ओफ़ लोनेलिनेस्स इस एक्ष्पेन्सिवे, सोमेतिमेस उन्बेअरब्ले, सोमेतिमेस अप्पेअलिन्ग
थे इन्नेर अन्गुइश थत ई हवे बोर्ने फ़ोर व्हिच थे वोर्ळ बेफ़्रिएन्देद मे)
तुम्हीं कहो रिंद-ओ-मुह्तसिब में हो आज शब कौन फ़र्क़ ऐसा
ये आके बैठे हैं मैकदे में वो उठके आये हैं मैकदे से
%[ri.nd = one who drinks; muhtasib = one who stops from others drinking]
(थे चेन्सोर अन्द थे प्रोफ़्लिगते बोथ हेल्पेद मैन्तैन थे स्चोरे
ओने तोओक हिस प्लचे अन्द द्रन्क हिस फ़िल्ल, थे ओथेर लेफ़्त ब्य थे तवेर्न दोओर)