% faiz35.s isongs output
\stitle{Paas Raho tum mere paas raho}
\singers{Faiz Ahmed Faiz}
तुम मेरे पास रहो
मेरे क़ातिल, मेरे दिळार, मेरे पास रहो
जिस घड़ी रात चले
आसमानों का लहू पी कर सियह रात चले
मर्हम-ए-मुश्क लिये नश्तर-ए-अल्मास चले
बैन करती हुई, हँसती हुई, गाती निकले
दर्द की कासनी पाज़ेब बजाती निकले
जिस घड़ी सीनों में डूबते हुये दिल
आस्तीनोंमें निहाँ हाथों की रह तकने निकले
आस लिये
और बच्चों के बिलखने की तरह क़ुल-क़ुल-ए-मय
बह्र-ए-नासुदगी मचले तो मनाये न मने
जब कोई बात बनाये न बने
जब न कोई बात चले
जिस घड़ी रात चले
जिस घड़ी मातमी, सुन-सान, सियह रात चले
पास रहो
मेरे क़ातिल, मेरे दिळार, मेरे पास रहो