% faiz42.s isongs output
\stitle{sabhii kuchh hai teraa diyaa huaa sabhii raahate.n sabhii kalafate.n}
\singers{Faiz Ahmed Faiz #42}
% Contributed by Sana Ali
सभी कुछ है तेरा दिया हुआ सभी राहतें सभी कलफ़तें
कभी सोहबतें कभी फ़ुर्क़तें कभी दूरियाँ कभी क़ुर्बतें
ये सुख़न जो हम ने रक़म किये ये हैं सब वरक़ तेरी याद के
कोई लम्हा सुबह-ए-विसाल का, कई शाम-ए-हिज्र की क़ुर्बतें
जो तुम्हारी मान लें नासिहा तो रहेगा दामन-ए-दिल में क्या
न किसी उदू की अदावतें न किसी सनम की मुरव्वतें
चलो आओ तुम को दिखायेँ हम जो बचा है मक़्तल -ए-शहर में
ये मज़ार अहल-ए-सफ़ा के हैं ये हैं अहल-ए-सिद्क़ की तुर्बतें
मेरी जान आज का ग़म न कर, के ना जाने कातिब-ए-वक़्त ने
किसी अपने कल में भी भूल कर कहीं लिख रखी हो मसर्रतें