% faiz43.s isongs output
\stitle{tere Gam ko jaa.N kii talaash thii tere jaa.N-nisaar chale gaye}
\singers{Faiz Ahmed Faiz #43}
% Contributed by Sana Ali
तेरे ग़म को जाँ की तलाश थी तेरे जाँ-निसार चले गये
तेरी राह में करते थे सर तलब सर-ए-राह-गुज़र चले गये
तेरी कज-अदाई से हार के शब-ए-इंतज़ार चली गई
मेरे ज़ब्त-ए-हाल से रूठ कर मेरे ग़म-गुसार चले गये
न सवाल-ए-वस्ल न अर्ज़-ए-ग़म न हिकायतें न शिकायतें
तेरे अहद में दिल-ए-ज़ार के सभी इख़्तियार चले गये
ये हमीं थे जिन के लिबास पर स्र-ए-राह सियाही लिखी गई
यही दाग़ थे जो सजा के हम सर-ए-बज़्म-एयार चले गये
न रहा जुनूँ-ए-रुख़-ए-वफ़ा ये रसन ये दार करोगे क्या
जिंहें जुर्म-ए-इश्क़ पे नाज़ था वो गुनाहगार चले गये