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% fana02.s isongs output
\stitle{koii samajhegaa kyaa raaz-e-gulashan}
\lyrics{'Fana' Nizami Kanpuri}
\singers{'Fana' Nizami Kanpuri}
% Additions by: Fayaz Razvi



कोई समझेगा क्या राज़-ए-गुलशन
जब तक उलझे न काँतों से दामन

यक-ब-यक सामने आना जाना
रुक न जाए कहीं दिल की धड़कन

गुल तो गुल ख़ार तक चुन लिये हैं
फिर भी ख़ाली है गुर्चीं का दामन

कितनी आराइशें आशियाना
टूट जाए न शाख़-ए-नशेमन

अज़मतें आशियाना बड़ा दी
बर्क़ को दोस्त समझूँ के दुश्मन