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\stitle{ek bas tuu hii nahii.n mujhase Khafaa ho baiThaa}
\lyrics{Farhat Shehzad}
\singers{Farhat Shehzad}



एक बस तू ही नहीं मुझसे ख़फ़ा हो बैठा
मैं ने जो संग तराशा वो ख़ुदा हो बैठा

उठ के मंज़िल ही अगर आए तो शायद कुछ हो
शौक़-ए-मंज़िल में मेरा आबलापा हो बैठा

मसलहत छिन गैइ क़ुव्वत-ए-गुफ़्तार मगर
कुछ न कहना ही मेरा मेरी सदा हो बैठा

शुक्रिया अए मेरे क़ातिल अए मसीहा मेरे
ज़हर जो तुने दिया था वो दवा हो बैठा

जाने 'षेह्ज़ाद' को मिन्जुम्ला-ए-आदा पाकर
हूक वो उट्ठी के जी तन से जुदा हो बैठा