% firaq05.s isongs output
\stitle{sakuut-e-shaam miTaao bahut a.Ndheraa hai}
\lyrics{Firaq Gorakhpuri}
\singers{Firaq Gorakhpuri}
सकूत-ए-शाम मिटाओ बहुत अँधेरा है
सुख़न की शमा जलाओ बहुत अँधेरा है
%[sakuut = silence]
दयार-ए-ग़म में दिल-ए-बेक़रार छूट गया
सम्भल के ढूड़ःअने जाओ बहुत अँधेरा है
ये रात वो के सूझे जहाँ न हाथ को हाथ
ख़यालो दूर न जाओ बहुत अँधेरा है
लटों को चेहरे पे डाले वो सो रहा है कहीं
ज़या-ए-रुख़ को चुराओ बहुत अँधेरा है
%[zayaa = radiance]
हवाएँ नीम शबी हों कि चादर-ए-अंजुम
नक़ आब रुख़ से उठाओ बहुत अँधेरा है
%[niim shabii = midnight; chaadar-e-a.njum = sheet of stars]
शब-ए-सियाह में गुम हो गई है राह-ए-हयात
क़दम सम्भल के उठाओ बहुत अँधेरा है
गुज़श्ता अह्द की यादों को फिर करो ताज़ा
बुझे चिराग़ जलाओ नहुत अँधेरा है
%[gu zashtaa = past]
थी एक उचकती हुई नींद ज़िंदगी उसकी
'फ़िरक़' को न जगाओ बहुत अँधेरा है
%[uchakatii = disturbed]