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\stitle{kabhii paaba.ndiyo.n se chhuuT ke bhii dam ghuTane lagataa hai}
\lyrics{Firaq Gorakhpuri}
\singers{Firaq Gorakhpuri}
कभी पाबंदियों से छूट के भी दम घुटने लगता है
दर-ओ-दीवार हो जिन में वही ज़िंदाँ नहीं होता
हमारा ये तजुर्बा कि ख़ुश होना मुहब्बत में
कभी मुश्किल नहीं होता, कभी आसाँ नहीं होता
बजा है ज़ब्त भी लेकिन मुहब्बत में कभी रो ले
दबाने के लिये हर दर्द ओ नादाँ नहीं होता
यक़ीं लायेँ तो क्या लायेँ जो शक लायेँ तो क्या लायेँ
कि बातों से त्री सच-झूठ का इम्काँ नहीं होता