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% firaq12.s isongs output
\stitle{raat aadhii se ziyaadaa ga_ii thii saaraa aalam sotaa thaa}
\singers{Firaq Gorakhpuri #12}



रात आधी से ज़ियादा गई थी सारा आलम सोता था
नाम तेरा ले ले कर कोई दर्द का मारा रोता था

चारागरो ये तस्कीं कैसी मैं भी हूँ इस दुनिया में
उन को ऐसा दर्द कब उठा जिन को बचना होता था

%[chaaraagaro = physicians/healers; taskii.n = consolation]

कुछ का कुछ कह जाता था मैं फ़ुर्क़त की बेताबी में
सुनने वाले हँस पड़ते थे होश मुझे तब आता था

%[furqat = separation/parting]

तारे अक्सर डूब चले थे, रात के रोने वालों को
आने लगी थी नींद सी कुछ, दुनिया में सवेरा होता था

तर्क-ए-मुहब्बत करने वालो कौन ऐसा जग जीत लिया
इश्क़ के पहले के दिन सोचो कौन बड़ा सुख होता था

%[tark-e-muhabbat = abandonment of love]

उस के आँसू किस ने देखे उस की आहें किस ने सुनीं
चमन चमन था हुस्न भी लेकिन दरिया दरिया रोता था

पिछला पहर था हिज्र की शब का, जागता रब सोता इंसान
तारों की छाओं में कोई "फ़िरक़" सा मोती पिरोता था

%[pichhalaa = last; hijr kii shab = night of parting]
%[rab = God; pironaa = to thread]