% firaq16.s isongs output
\stitle{ai jazb-e-nihaa.N aur ko_ii hai ke vahii hai}
\singers{Firaq Gorakhpuri #16}
ऐ जज़्ब-ए-निहाँ और कोई है के वही है
ख़िलवत-कदा-ए-दिल में आवाज़ हुई है
कह दे तो ज़रा सर तेरे दामन में छिपा लूँ
और यूँ तो मुक़द्दर में मेरे बे-वतनी है
वो रंग हो या बू हो के बाद-ए-सहरी हो
ऐ बाग़-ए-जहाँ जो भी यहाँ है सफ़री है
ये बारिश-ए-अंवर ये रंगीनि-ए-गुफ़्तार
गुल-बारी-ओ-गुल-सैरी-ओ-गुल-पैरहनी है
ऐ ज़िंदगी-ए-इश्क़ में समझा नहीं तुझ को
जन्नत भी जहन्नुम भी ये क्या बूलजबी है
है नुत्क़ जिसे चूमने के वास्ते बेताब
सौ बात की इक बात तेरी बे-सखुनी है
मौजें हैं मै-ए-सुर्ख़ की या खट्ट-ए-दहन हैं
लब है कि कोई शोला-ए-बर्क़-ए-अम्बी है
जागे हैं "फ़िरक़" आज ग़म-ए-हिजराँ में ता-सुबह
आहिस्ता से आ जाओ अभी आँख लगी है