% ghalib10.s isongs output
\stitle{dekhanaa qismat ki aap apane pe rashk aa jaae hai}
\lyrics{Mirza Ghalib}
\singers{Mirza Ghalib}
देखना क़िस्मत कि आप अपने पे रश्क आ जाए है
मैं उसे देखूँ भला कब मुझसे देखा जाए है
%[rashk = envy]
हाथ धो दिल से यही गर्मी गर अंदेशे में है
आब्गीना तुंदी-ए-सहबा से पिघला जाए है
%[a.ndeshe = suspicions; aab_giina = glass; tu.ndii = heat; sahabaa = wine]
ग़ैर को यारब वो क्यों कर मना-ए-गुस्ताख़ी करे
गर हया भी उसको आती है तो शर्मा जाए है
शौक़ को ये लत के हर्दम नाला ख़ेंचे जाईये
दिल कि वो हालत कि दम लेने से घबरा जाए है
दूर चश्म-ए-बद तेरी बज़्म-ए-तराब से वाह वाह
नग़्मा हो जाता है वाँ गर नाला मेरा जाए है
गर्चे है तर्ज़-ए-तग़ाफ़ुल पर्दादार-ए-राज़-ए-इश्क़
पर हम ऐसे खोये जाते हैं कि वो पा जाए है
%[tarz-e-taGaaful = style of neglect; pardaadaar-e-raaz-e-ishq = hidding the secret of love]
उसकी बज़्माराईयाँ सुनकर दिल-ए-रंजूर याँ
मिस्ल-ए-नक़्श-ए-मुद्दा-ए-ग़ैर बैठा जाए है
%[bazmaaraaiiyaa.N = joyful meetings; ra.njuur = sad; misl-e-naqsh = figuratively]
होके आशिक़ वो परीरुख़ और नाज़ुक बन गया
रंग खुलता जाए है जितना कि उड़ता जाए है
%[parii_ruK = angel faced]
नक़्श को उसके मुसव्विर पर भी क्या क्या नाज़ है
खेंचता है जिस क़दर उतना ही खिंचता जाए है
साया मेरा मुझसे मिस्ल-ए-दूद भागे है 'आसद'
पास मुझ आतिश्ब-जाँ के किस से ठहरा जाए है
%[misl-e-duud = like smoke; aatish_ba-jaa.N = burning body]