% ghalib18.s isongs output
\stitle{ghar jab banaa liyaa hai tere dar par kahe baGair}
\lyrics{Mirza Ghalib}
\singers{Mirza Ghalib}
घर जब बना लिया है तेरे दर पर कहे बग़ैर
जानेगा अब भी तू न मेरा घर कहे बग़ैर
कहते हैं, जब रही न मुझे ताक़त-ए-सुख़न
जानूँ किसी के दिल कि मैं क्यूँकर कहे बग़ैर
%[taaqat-e-suKan = strength to speak]
काम उस से आ पड़ा है कि जिसका जहान में
लेवे ना कोई नाम सितमगर कहे बग़ैर
जी में ही कुछ नहीं है हमारे वगर्ना हम
सर जाए या रहे न रहें पर कहे बग़ैर
छोड़ूँगा मैं न उस बुत-ए-काफ़िर का पूजना
छोड़े न ख़ल्क़ गो मुझे काफ़िर कहे बग़ैर
%[but = idol, Kalq = world ]
मक़्सद है नाज़-ओ-ग़म्ज़ा वले गुफ़्तगू में काम
चलता नहीं है, दश्ना-ओ-ख़ंजर कहे बग़ैर
%[Gamzaa = amorous glance; dashnaa = dagger ]
हर चन्द हो मुशाहिदा-ए-हक़ की गुफ़्तगू
बनती नहीं है बादा-ओ-साग़र कहे बग़ैर
%[mushaahid-e-haq = inspection of truth;]
बहरा हूँ मैं तो चाहिये दूना हो इल्तफ़ात
सुनता नहीं हूँ बात मुक़र्रर कहे बग़ैर
%[iltafaat = mercy; muqarrar = again]
"ग़्हलिब" न कर हुज़ूर में तू बार-बार अर्ज़
ज़ाहिर है तेरा हाल सब उन पर कहे बग़ैर