% ghalib21.s isongs output
\stitle{hai bas ki har ik unake ishaare me.n nishaa.N aur}
\lyrics{Mirza Ghalib}
\singers{Mirza Ghalib}
है बस कि हर इक उनके इशारे में निशाँ और
करते हैं मुहब्बत तो गुज़रता है गुमाँ और
%[gumaa.N = doubt]
या रब वो न समझे हैं न समझेंगे मेरी बात
दे और दिल उनको जो न दे मुझको ज़ुबाँ और
अबरू से है क्या उस निगाह -ए-नाज़ को पैबंद
है तीर मुक़र्रर मगर उसकी है कमाँ और
%[abaruu = eyebrow; paiba.nd = patch]
तुम शहर में हो तो हमें क्या ग़म जब उठेंगे
ले आएंगे बाज़ार से जाकर दिल-ओ-जाँ और
हर चंद सुबुक्दस्त हुए बुत्शिकनी में
हम हैं तो अभी राह में है संग-ए-गिराँ और
%[subuk_dast = expert; but_shikanii = iconoclast; sa.ng = stone; giraa.N = heavy ]
है ख़ून-ए-जिगर जोश में दिल खोल के रोता
होते कैइ जो दीदा-ए-ख़ूँनाबफ़िशाँ और
%[diidaa = eye; Kuu.Nnaaba = mixture of blood and water; fishaa. N = to shed]
मरता हूँ इस आवाज़ पे हर चंद सर उड़ जाए
जल्लाद को लेकिन वो कहे जाये कि हाँ और
लोगों को है ख़ुर्शीद-ए-जहाँ ताब का धोका
हर रोज़ दिखाता हूँ मैं इक दाग़-ए-निहाँ और
%[Kurshiid = sun; taab = power (here it means brightness); nihaa.N = hidden ]
लेता न अगर दिल तुम्हें देता कोई दम चैन
करता जो न मरता कोई दिन आह-ओ-फ़ुग़ाँ और
पाते नहीं जब राह तो चड़ जाते हैं नाले
रुकती है मेरी तबा तो होती है रवाँ और
%[naale = lament; tabaa = temperament]
हैं और भी दुनिया में सुख़नवर बहुत अच्छे
कहते हैं कि 'ग़्हलिब' का है अंदाज़-ए-बयाँ और
%[suKanavar = poet]