% ghalib23.s isongs output
\stitle{har ek baat pe kahate ho tum ki tuu kyaa hai}
\lyrics{Mirza Ghalib}
\singers{Mirza Ghalib}
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है
तुम्हीं कहो के ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है
न शोले में ये करिश्मा न बर्क़ में ये अदा
कोई बताओ कि वो शोख़-ए-तुंदख़ू क्या है
ये रश्क है कि वो होता है हमसुख़न हमसे
वगर्ना ख़ौफ़-ए-बदामोज़ी-ए-अद क्या है
%[rashk = jealousy; hamasuKan = some who agrees with you]
%[Kauf = fear; aamozii = teaching; aduu = enemy]
चिपक रहा है बदन पर लहू से पैराहन
हमारी जेब को अन हाजत-ए-रफ़ू क्या है
%[pairaahan = dress/cloth/robe; haajat = need; rafuu = darning]
जला हिअ जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा
कुरेदते हो जो अब राख जुस्तजू क्या है
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है
वो चीज़ जिसके लिये हमको हो बहिश्त अज़ीज़
सिवाए बादा-ए-गुल्फ़ाम-ए-मुश्कबू क्या है
%[bahisht = heaven; baadaa = wine; gulfaam = delicate/like a flower]
%[mushkabuu = the smell of musk]
पियूँ शराब अगर ख़ुम भी देख लूँ दो चार
ये शीशा-ओ-क़दाह-ओ-कूज़ा-ओ-सुबू क्या है
%[Kum = wine barrel, qadaah = goblet, subuu = wine pitcher ]
रही न ताक़त-ए-गुफ़्तार और अगर हो भी
तो किस उम्मीद पे कहिये के आरज़ू क्या है
%[guftaar = speech]
बना है शाह का मुसाहिब, फिरे है इतराता
वगर्ना शहर में "ग़्हलिब" की आबरू क्या है
%[musaahib = associate]