% ghalib32.s isongs output
\stitle{kabhii nekii bhii usake jii me.n aa jaae hai mujhase}
\lyrics{Mirza Ghalib}
\singers{Mirza Ghalib}
कभी नेकी भी उसके जी में आ जाए है मुझसे
जफ़ाएं करके अपनी याद शर्मा जाए है मुझसे
ख़ुदाया! ज़ज़्बा-ए-दिल की मगर तासीर उलटी है
कि जितना खेंचता हूँ और खिंचता जाए है मुझसे
वो बद ख़ू और मेरी दास्तन-ए-इश्क़ तूलानीइ
इबारत मुख़्तसर, क़ासिद भी घबरा जाए है मुझसे
%[bad Kuu = bad blood, a person with bad habits; tuulaanii = long;]
%[ibaarat = composition; qaasid = messenger]
उधर वो बदगुमानी है, इधर ये नातवनी है
ना पूछा जाए है उससे, न बोला जाए है मुझसे
सँभलने दे मुझे अए नाउमीदी, क्या क़यामत है
कि दामाने ख़याले यार छूता जाए है मुझसे
तकल्लुफ़ बर तरफ़ नज़्ज़ारगी में भी सही, लेकिन
वो देखा जाए, कब ये ज़ुल्म देखा जाए है मुझसे
%[takalluf bar taraf = end of formality; nazzaaragii = to watch]
हुए हैं पाँव ही पहले नबर्द-ए-इश्क़ में ज़ख़्मी
न भागा जाए है मुझसे, न ठहरा जाए है मुझसे
%[nabard-e-ishq = struggle in love]
क़यामत है कि होवे मुद्दैइ का हम्सफ़र ग़्हलिब
वो काफ़िर, जो ख़ुदा को भी न सौंपा जाए है मुझसे