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% ghalib35.s isongs output
\stitle{kisii ko deke dil koii navaa_sa.nj-e-fuGaa.N kyo.n ho}
\lyrics{Mirza Ghalib}
\singers{Mirza Ghalib}



किसी को देके दिल कोई नवासंज-ए-फ़ुग़ाँ क्यों हो
न हो जब दिल ही सीनेमें तो फिर मूँह में ज़ुबाँ क्यों हो

%[navaa_sa.nj-e-fuGaa.N = to cry out]

वो अपनी ख़ू न छोड़ेंगे हम अपनी वज़ा क्यों बदलें
सुबुक्सार  बनके क्या पूछें कि हम से सर्गिराँ क्यों हो

%[Kuu = habit; vazaa = behaviour; subuk_saar = embarassed; sar_giraa.N = arrogant/proud]

किया ग़म्ख़्वार ने रुसवा लगे आग इस मुहब्बत को
न लाए ताब जो ग़म की वो मेरा राज़दाँ क्यों हो

%[Gam_Kvaar = one sho consoles; taab = patience; raazadaaN = confidante]

वफ़ा कैसी कहाँ का इश्क़ जब सर फोड़ना ठहरा
तो फिर ऐ संग्दिल तेरा ही संग-ए-आस्ताँ क्यों हो

%[sa.ng_dil = stone-hearted; sa.ng-e-aastaa.N = threshold]

क़फ़स में मुझ से रूदाद-ए-चमन कहते न डर हम्दम
गिरी है जिस पे कल बिजली वो मेरा आशियाँ क्यों हो

%[qafas = cage; ruudaad = report]

ये कह सकते हो हम दिल में नहीं हैं पर ये बताओ
कि जब दिल में तुम्हीं तुम हो तो आँखों से निहाँ क्यों हो

%[nihaa.N = hidden]

ग़लत है जज़बा-ए-दिल का शिकवा देखो जुर्म किसका है
न खींचो गर तुम अपने को कशाकश दर्मियाँ क्यों हो

%[shikavaa = complaint; kashaakash = struggle; darmiyaa.N = between]

ये फ़ितना आदमी की ख़ानावीरानी को क्या कम है
हुए तुम दोस्त जिसके दुश्मन उसका आस्माँ क्यों हो

%[fitanaa = quarrel; Kaanaaviiraanii = ruining of one's home]

यही है आज़माना तो सताना किस को कहते हैं
अदू के हो लिये जब तुम तो मेरा इम्तिहाँ क्यों हो

%[aduu = enemy; imtihaa.N = examination]

कहा  तुमने कि  क्यों  हो ग़ैर के मिलने में रुसवाई
बजा कहते हो सच कहते हो फिर कहियो कि हाँ क्यों हो

%[rusavaaii = disgrace; bajaa = correct]

निकाला चाहता है काम क्या तानों से तू "ग़्हलिब"
तेरे बेमहर कहने से वो तुझ पर मेहरबाँ क्यों हो

%[taan = taunt; bemehar = unkind]