ACZoom Home E-mail ITRANS ITRANS Song Book

% ghalib44.s isongs output
\stitle{na huii gar mere marane se tasallii na sahii}
\lyrics{Mirza Ghalib}
\singers{Mirza Ghalib}



न हुई गर मेरे मरने से तसल्ली न सही
इम्तिहाँ और भी बाक़ी हो तो ये भी न सही

ख़ार-ख़ार-ए-अलम-ए-हसरत-ए-दीदार तो है
शौक़ गुलचीन-ए-गुलिस्तान-ए-तसल्ली न सही

मय परस्ताँ ख़ुम-ए-मय मूंह से लगाए ही बने
एक दिन गर न हुआ बज़्म में साक़ी न सही

नफ़ज़-ए-क़ैस के है चश्म-ओ-चराग़-ए-सहरा
गर नहीं शम-ए-सियहख़ाना-ए-लैला न सही

एक हंगामे पे मौकूफ़ है घर की रौनक
नोह-ए-ग़म ही सही, नग़्मा-ए-शादी न सही

न सिताइश की तमन्ना न सिले की परवाह
गर नहीं है मेरे अशार में माने न सही

इशरत-ए-सोहबत-ए-ख़ुबाँ ही ग़नीमत समझो
न हुई "ग़्हलिब" अगर उम्र-ए-तबीई न सही