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% ghalib61.s isongs output
\stitle{ye na thii hamaarii qismat ke visaal-e-yaar hotaa}
\lyrics{Mirza Ghalib}
\singers{Mirza Ghalib}



ये न थी हमारी क़िस्मत के विसाल-ए-यार होता
अगर  और  जीते  रहते   यही   इन्तज़ार  होता

तेरे वादे पर जिये हम  तो ये जान झूठ जाना
के ख़ुशी से  मर न जाते  अगर ऐतबार होता

तेरी नाज़ुकी से जाना कि बँधा था अह्द्बोदा
कभी तू न तोड़ सकता अगर उस्तवार होता

%[ahd = oath, ustavaar = firm/determined ]

कोई मेरे दिल से पूछे तेरे तीर-ए-नीमकश को
ये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता

%[tiir-e-niimkash = half drawn arrow, Kalish = pain ]

ये कहाँ की दोस्ती है के बने हैं दोस्त नासेह
कोई  चारासाज़ होता, कोई ग़म्गुसार होता

%[naaseh = councellor, chaarasaaz = healer, Gamgusaar = sympathizer]

रग-ए-संग से टपकता वो लहू कि फिर न थमता
जिसे ग़म समझ रहे हो ये अगर शरार होता

%[rag = nerve, sa.ng = stone, sharaar = flash]

ग़म अगर्चे जाँ_गुसिल है, पे कहाँ बचें के दिल है
ग़म-ए-इश्क़ गर न होता, ग़म-ए-रोज़गार होता

%[jaa.N_gulis = life threatning ]

कहूँ किस से मैं के क्या है, शब-ए-ग़म बुरी बला है
मुझे क्या बुरा था मरना अगर एक बार होता

हुए मर के हम जो रुसवा, हुए क्योँ न ग़र्क़-ए-दरिया
न  कभी जनाज़ा उठता, न  कहीं मज़ार होता

%[Garq = drown/sink ]

उसे कौन देख सकता कि यगना है वो यक्ता
जो दुई की बू भी होती तो कहीं दो चार होता

%[yaganaa = kinsman, yaktaa = matchless/incomparable, duii = duality ]

ये मसाइल-ए-तसव्वुफ़, ये तेरा बयान  'ग़्हलिब'
तुझे हम वली समझते, जो न बादाख़्वार होता

%[masaail = topics, tasavvuf = mysticism, walii = prince/friend, baadaa_Kvaar = drinker]