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\stitle{ghar hamaaraa, jo na rote bhii, to viraa.N hotaa}
\lyrics{Mirza Ghalib}
\singers{Mirza Ghalib}



घर हमारा, जो न रोते भी, तो विराँ होता
बह्र गर बह्र न होतातो बयाबाँ होता

तंगि-ए-दिल का गिला क्या, ये वो काफ़िर दिल है
के अगर तंग न होता, तो परेशाँ होता

बाद-ए-यक उम्र-ए-वरा, बार तो देता बारे
काश रिज़वाँ ही दर-ए-यार का दरबाँ होता