% ghalib68.s isongs output
\stitle{masnavi - aamo.n kii taariif me.n}
\lyrics{Mirza Ghalib}
\singers{Mirza Ghalib}
हाँ दिल-ए-दर्द्मंद ज़म-ज़मा साज़
क्यूँ न खोले दर-ए-ख़ज़िना-ए-राज़
ख़ामे का सफ़्हे पर रवाँ होना
शाख़-ए-गुल का है गुल-फ़िशाँ होना
मुझ से क्या पूछता है क्या लिखिये
नुक़्ता हाए ख़िरदफ़िशाँ लिखिये
बारे, आमों का कुछ बयाँ हो जाए
ख़ामा नख़्ले रतबफ़िशाँ हो जाए
आम का कौन मर्द-ए-मैदाँ है
समर-ओ-शाख़, गुवे-ओ-चौगाँ है
ताक के जी में क्यूँ रहे अर्माँ
आए, ये गुवे और ये मैदाँ!
आम के आगे पेश जावे ख़ाक
फोड़ता है जले फफोले ताक
न चला जब किसी तरह मक़दूर
बादा-ए-नाब बन गया अंगूर
ये भी नाचार जी का खोना है
शर्म से पानी पानी होना है
मुझसे पूछो, तुम्हें ख़बर क्या है
आम के आगे नेशकर क्या है
%[neshakar = gannaa/sugarcane]
न गुल उस में न शाख़-ओ-बर्ग न बार
जब ख़िज़ाँ आए तब हो उस की बहार
और दौड़ाईए क़यास कहाँ
जान-ए-शीरीँ में ये मिठास कहाँ
जान में होती गर ये शीरीनी
'कोहकन' बावजूद-ए-ग़म्गीनी