% ghalib78.s isongs output
\stitle{Gam-e-duniyaa se gar paa_ii bhii fursat sar uThaane kii}
\singers{Mirza Ghalib}
ग़म-ए-दुनिया से गर पाई भी फ़ुर्सत सर उठाने की
फ़लक का देखना तक़रीब तेरे याद आने की
%[falak = sky; taqariib = reason]
खुलेगा किस तरह मज़मूँ मेरे मक्तूब का यारब
क़सम खाई है उस काफ़िर ने काग़ज़ के जलाने की
%[mazamuu.N = topic/subject; maktuub = letter]
लिपटना परनियाँ में शोला-ए-आतिश का आसाँ है
वले मुश्किल है हिकमत दिल में सोज़-ए-ग़म छुपाने की
%[paraniyaa.N = fine muslin/silk cloth; vale = but; hikamat = cure]
उंहें मंज़ूर अपने ज़ख़्मियों का देख आना था
उठे थे सैर-ए-गुल को देखना शोख़ी बहाने की
हमारी सादगी थी इल्तफ़ात-ए-नाज़ पर मरना
तेरा आना न था ज़ालिम मगर तमहीद जाने की
%[iltafaat = benevolence (iltefaat-e-naaz meaning beloved here); tamahiid = excuse]
लक़द-कोब-ए-हवादिस का तहम्मुल कर नहीं सकती
मेरी ताक़त के ज़ामिं थी बुतों के नाज़ उठाने की
%[laqadkob-e-havaadis = vagaries of misfortune]
%[tahammul = tolerance; zaami.n = one who takes responsibility for]
कहूँ क्या ख़ूबि-ए-औज़ाग़-ए-इब्ना-ए-ज़माँ "ग़्हलिब"
बदी की उसने जिस से हमने की थी बारहा नेकी
%[Kuubi-e-auzaaG-e-ibnaa-e-zamaa.N = the goodness of founders of today's society]
(ठिस इस अ सर्चस्तिच चोम्मेन्त ब्य ग़्हलिब)