% ghalib82.s isongs output
\stitle{maanaa-e-dasht naavardii ko_ii tadabiir nahii.n}
\singers{Mirza Ghalib #83}
% Contributed by Sana
माना-ए-दश्त नावर्दी कोई तदबीर नहीं
एक चक्कर है मेरे पाओं में ज़ंजीर नहीं
हसरत-ए-लज़्ज़त-ए-आज़र रही जाती है
जादह-ए-राह-ए-वफ़ा जुज़ दम-ए-शम्शीर नहीं
रंज-ए-ना-उम्मीदी-ए-जावेद गवारा रहियो
ख़ुश हूँ गर नाला ज़बूनी कश-ए-तासीर नहीं
सर खुजाता है जहाँ ज़ख़्म-ए-सर अच्चा हो जये
लज़्ज़त-ए-संग बा-अंदाज़ा-ए-तक़रीर नहीं
जब करम रुख़्सत-ए-बेबाकी-ओ-गुस्ताख़ी दे
कोई तक़सीर ब-जुज़ ख़स्लत-ए-तक़सीर नहीं
"ग़्हलिब" अपना ये अक़ीदा है बक़ौल-ए-नासिख़
आप बे-बेहरा हैं जो मोताक़िद-ए-मीर नहीं