% gondvi05.s isongs output
\stitle{ye mujhase puuchhiye kyaa justajuu me.n lazzat hai}
\singers{Asghar Gondvi}
ये मुझसे पूछिये क्या जुस्तजू में लज़्ज़त है
फ़ज़ा-ए-दहर में तहलील हो गया हूँ मैं
%[justajuu = search; lazzat = taste; dahar = world; tahaliil = immersed]
हटाके शीशा-ओ-सागर हुजूम-ए-मस्ती में
तमाम अर्सा-ए-आलम पे छा गया हूँ मैं
%[arsaa-e-aalam = whole world]
उड़ा हूँ जब तो फ़लक पे लिया है दम जा कर
ज़मीं को तोड़ गया हूँ जो रह गया हूँ मैं
%[falak = sky]
रही है ख़ाक के ज़र्रों में भी चमक मेरी
कभी कभी तो सितारों में मिल गया हूँ मैं
समा गये मेरी नज़रों में छा गये दिल पर
ख़याल करता हूँ उन को कि देखता हूँ मैं