ACZoom Home E-mail ITRANS ITRANS Song Book

% gulzar02.s isongs output
\stitle{saa.Ns lenaa bhii kaisii aadat hai}
\lyrics{Gulzar}
\singers{Gulzar}



साँस लेना भी कैसी आदत है
जीये जाना भी क्या रवायत है
कोई आहट नहीं बदन में कहीं
कोई साया नहीं है आँखों में
पाँव बेहिस हैं, चलते जाते हैं
इक सफ़र है जो बहता रहता है
कितने बरसों से, कितनी सदियों से
जिये जाते हैं, जिये जाते हैं

आदतें भी अजीब होती हैं