ACZoom Home E-mail ITRANS ITRANS Song Book

% gulzar05.s isongs output
\stitle{nazm ulajhii huii hai siine me.n}
\lyrics{Gulzar}
\singers{Gulzar}



नज़्म उलझी हुई है सीने में
मिसरे अटके हुए हैं होठों पर
उड़ते-फिरते हैं तितलियों की तरह
लफ़्ज़ काग़ज़ पे बैठते ही नहीं
कब से बैठा हूँ मैं जानम
सादे काग़ज़ पे लिखके नाम तेरा

बस तेरा नाम ही मुकम्मल है
इससे बहतर भी नज़्म क्या होगी