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\stitle{zi.ndagii yuu.N hu_ii basar tanhaa}
\singers{Gulzar #9}
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा
अपने साये से चौँक जाते हैं
उम्र गुज़री है इस क़दर तन्हाअ
रात भर बोलते हैं सन्नाटे
रात काटे कोई किधर तन्हा
दिन गुज़रता नहीं है लोगों में
रात होती नहीं बसर तन्हा
हमने दरवज़े तक तो देखा था
फिर न जाने गये किधर तन्हा