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\stitle{vo kaaT ke puraze u.Daa rahaa thaa}
\singers{Gulzar #11}
वो काट के पुरज़े उड़ा रहा था
हवाओं का रूप दिखा रहा था
कुछ और भी हो गया नुमायाँ
मैं अपना लिखा मिटा रहा था
उसी का इमान बदल गया है
कभी जो मेरा ख़ुदा रहा था
वो एक दिन एक अजनबी को
मेरी कहानी सुना रहा था
वो उम्र कर रहा था मेरी
मैं साल अपने बढ़ा रहा था