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% gumnam03.s isongs output
\stitle{zi.ndagii ek kiraaye kaa ghar hai ek na ek din badalanaa pa.Degaa}

\singers{Surender Malik Gumnam #3}
% Contributed by Fayaz Razvi


ज़िंदगी एक किराये का घर है एक न एक दिन बदलना पड़ेगा
मौत जब हम को आवाज़ देगी घर से बाहर निकलना पड़ेगा

ढेर मिट्टी का हर आदमी है बाद मरने के होना यही है
या ज़मीनों में तुर्बत बनेंगे या चिताओं पे जलना पड़ेहा

रात के बाद होगा सवेरा देखना है अगर तुम को दिन सुनेहरा
पाओं फूलों पे रखने से पहले तुम को काँटों पे चलना पड़ेगा

ऐतबार उन के वादों का मर कर वर्ना ऐ दिल मेरे ज़िंदगी भर
तुझ को भी मोम्बत्ती की तरह क़तरा क़तरा पिघलना पड़ेगा

ये जवानी है पल भर का सपना ढूँड ले कोई महबूब अपना
ये जवानी अगर ढल गई तो उम्र भर हाथ मलना पड़ेगा