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% hakhtar01.s isongs output
\stitle{shabaab aayaa kisii but par fidaa hone kaa vaqt aayaa}
\singers{Harichand Akhtar #1}



शबाब आया किसी बुत पर फ़िदा होने का वक़्त आया
मेरी दुनिया में बंदे के ख़ुदा होने का वक़्त आया

उंहें देखा तो ज़ाहिद ने कहा ईमान की ये है
कि अब इंसान को सजदा-रवा होने का वक़्त आया

तकल्लुम की ख़ामोशी कह रही है हर्फ़-ए-मतलब से
कि अश्क-आमेज़ नज़रों से अदा होने का वक़्त आया

%[takallum = conversation; ashk-aamez = full of tears]

ख़ुदा जाने ये है औज-ए-यक़ीं या पस्ती-ए-हिम्मत
ख़ुदा से कह रहा हूँ नाख़ुदा होने का वक़्त आया

%[auj = height/zenith; pastii = lowest point/nadir; naaKudaa = oarsman]

हमें भी आ पड़ा है दोस्तों से काम कुछ यानी
हमारे दोस्तों के बेवफ़ा होने का वक़्त आया