% hakhtar02.s isongs output
\stitle{duur ko_ii raat bhar gaataa rahaa}
\singers{Harichand Akhtar #2}
दूर कोई रात भर गाता रहा
तेरा मिलना मुझ को याद आता रहा
इस तरह कुछ उस ने छे.दा दिल का साज़
देर तक हर तार थर्राता रहा
हुस्न पर तासीर-ए-ग़म होती रही
इक शगुफ़्ता फूल कुम्हलाता रहा
%[taasiir = effect; shaguftaa = blooming; kumhalaanaa = withering]
हम भी ज़ब्त-ए-दर्द-ए-ग़म करते रहे
वो भी अपने दिल को समझाता रहा
%[zabt = restraint]
हम न आये फिर चमन में लौट कर
मौसम-ए-गुल बार बार आता रहा
%[mausam-e-gul = spring]
अब तो "आख्तर" लुत्फ़-ए-ग़म भी मिट गया
अब तो वो आराम भी जाता रहा