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% hakim02.s isongs output
\stitle{jab se tuune mujhe diivaanaa banaa rakhaa hai}
\singers{Nasir Kazmi}



जब से तूने मुझे दीवाना बना रखा है
संग हर शख़्स ने हाथों में उठा रखा है

%[sa.ng = stone]

उस के दिल पर भी कड़ी इश्क़ में गुज़री होगी
नाम जिस ने भी मुहब्बत का सज़ा रखा है

पत्थरों आज मेरे सर पे बरस्ते क्यूँ हो
मैं ने तुम को भी अपना ख़ुदा रखा है

अब मेरे दीद की दुनिया भी तमाशाई है
तूने क्या मुझको मुहब्बत में बना रखा है

पीजा ऐयाम की तल्ख़ी को भी हँसके "णसिर"
ग़म को सहने में भी कुदरत ने मज़ा रखा है

%[aiyam = days; talKii = bitterness]