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\stitle{kahane kii baat ho to use kah sunaayiye}
\singers{Altaf Husain Hali}



कहने की बात हो तो उसे कह सुनायिये
जो दिल पे बन रही हो, क्यों कर दिखायिये

दुनिया की हो हवस तो दिल-ओ-दीं गँवायिये
याँ खोयिये बहुत-सा तो कुछ जा के पायिये

ये क्या कि दिल है दैर में और क'अबे में मक़ाम
हो रहिये बस वहीं के, जहाँ दिल लगायिये

गर जान का ज़रर है मोहब्बत में नासेहो
हम जान ही से बैठे हैं बेज़ार जायिये

और ऐतबार खोते ही अपना रहा-सहा
बस आ गया यक़ीं हमें, क़समें न खायिये

होती हुजूम-ए-ग़म में है, क्यों ज़हर की तलाश
'ःअलि' बतायेँ आप को, गर कुछ खिलायिये