ACZoom Home E-mail ITRANS ITRANS Song Book

% hali04.s isongs output
\stitle{dhuum thii apanii paarsaa_ii kii bhii aur kis se aashnaa_ii kii}
\singers{Altaf Husain Hali}



धूम थी अपनी पार्साई की भी और किस से आश्नाई की
क्यों बढ़ाते हो इख़्तिलात बहुत, हम में ताक़त नहीं जुदाई की

मूँह कहाँ तक छुपाओगे हम से, हम को आदत है ख़ुदनुमाई की
लाग में है लगाव की बातें, सुलह में छेड़ है लड़ाई की

दिल भी पहलू में हो तो याँ किस से रखिये उम्मीद दिल-रुबाई की
न मिला कोई ग़ारत-ए-इमाँ रह गई शर्म पार्साई की

मौत की तरह जिस से डरते थे सअत आ पहुँची उस जुदाई की
ज़िंदा फिरने की है हवस "ःअलि" इंतहा है ये बेहयाई की