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\stitle{chaahat kaa ek miiThaa miiThaa dard jagaane shaam Dhale}
\lyrics{Hasan Imam}
\singers{Hasan Imam}
% Contributed by Fayaz Razvi



चाहत का एक मीठा मीठा दर्द जगाने शाम ढले
तेरी यादें आ जाती हैं मुझको रुलाने शाम ढले

तेरी ज़ुल्फ़ें इन काँधों पर तेरा चेहरा हाथों में
मैं ने भी देखे हैं कितने ख़्वाब सुहाने शाम ढले

हर दिन हम से वादा करके यूँ ही अगर तड़पाओगे
इक दिन यूँ ही हो जाएंगे हम भी दीवाने शाम ढले

दिन के उजाले में तो मना लूँ लाख यतन से बहला लूँ
लेकिन दिल का पागल पंछी एक न माने शाम ढले