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% hhoshiarpuri03.s isongs output
\stitle{diipak raag hai chaahat apanii kaahe sunaae.n tumhe.n}
\lyrics{Hafeez Hoshiarpuri}
\singers{Hafeez Hoshiarpuri}
% Contributed by: Saleem A Khanani



दीपक राग है चाहत अपनी काहे सुनाएं तुम्हें
हम तो सुलगते ही रहते हैं क्यों सुलगाएं तुम्हें

तर्क-ए-मुहब्बत, तर्क-ए-तमन्ना कर चुकने के बाद
हम पे ये मुश्किल आन पड़ी है कैसे बुलाएं तुम्हें

सन्नाटा जब तन्हाई के ज़हर में बुझता है
वो घड़ीयाँ क्यों कर कटती हैं कैसे बताएं तुम्हें

जिन बातों ने प्यार तुम्हारा नफ़्रत में बदला
डर लगता है वो बातें भी भूल न जाएं तुम्हें