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% himayat01.s isongs output
\stitle{har qadam par nit naye saa.Nche me.n Dhal jaate hai.n log}
\singers{Himayat Ali Shayar #1}



हर क़दम पर नित नये साँचे में ढल जाते हैं लोग
देखते ही देखते कितने बदल जाते हैं लोग

किस लिये किजे किसी गुम-गश्ता जन्नत की तलाश
जब कि मिट्टी के खिलोने से बहल जाते हैं लोग

%[gum-gashtaa = lost; jannat = heaven]

कितने सादा दिल हैं अब भी सुन के आवाज़-ए-जरस
पेश-ओ-पस से बे-ख़बर घर से निकल जाते हैं लोग

%[aavaaz-e-jaras = sound of bells; pesh-o-pas = thought and wisdom]

शमा की मानिंद अहल-ए-अंजुमन से बेनियाज़
अक्सर अपनी आग में चुप-चाप जल जाते हैं लोग

"षयर" उन की दोस्ती का अब भी दम भरते हैं आप
ठोकरें खा कर तो सुनते हैं सम्भल जाते हैं लोग