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\stitle{tum chup rahe payaam-e-muhabbat yahii to hai}
\singers{Hashim Raza}



तुम चुप रहे पयाम-ए-मुहब्बत यही तो है
आंखें झुकीं नज़र की क़यामत यही तो है

महफ़िल में लोग चौँक पड़े मेरे नाम पर
तुम मुस्कुरा दिये मेरी क़ीमत यही तो है

तुम पुछते हो तुमने शिकायत भी की कभी
सच पूछिये तो मुजह्को शिकायत यही तो है

वादे थे बेशुमार मगर ऐ मिज़ाज-ए-यार
हम याद क्या दिलायेँ नज़ाकत यही तो है

मेरे तलब की हद है न तेरे अता की हद
मुजह्को तेरे करम से निदामत यही तो है