ACZoom Home E-mail ITRANS ITRANS Song Book

% iarif05.s isongs output
\stitle{zaraa sii der ko aae the Khvaab aa.Nkho.n me.n}
\lyrics{Iftikhar Arif}
\singers{Iftikhar Arif}



ज़रा सी देर को आए थे ख़्वाब आँखों में
फिर उसके बाद मुसलसल अज़ाब आंखों में

%[musalasal = continuous; azaab = trouble]

वो जिसके नाम की निस्बत से रौशन था वुजूद
खटक रहा है वही आफ़ताब आंखों में

%[nisbat = relation]

जिंहें मता-ए-दिल-ओ-जाँ समझ रहे थे हम
वो आईने भी हुए बेहिजाब आँखों में

अजब तरह का है मौसम के ख़ाक उड़ती है
वो दिन भी थे के खिले थे गुलाब आँखों में

मेरे ग़ज़ाल तेरी वहशतों की ख़ैर की है
बहुत दिनों से बहुत इज़्तराब आँखों में

न जाने कैसी क़यामत का पेश-ख़ीमा है
ये उलझने तेरी बे-इन्तसाब आँखों में

%[pesh-Kiimaa = ominous sign]