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\stitle{vo Khvaab thaa bikhar gayaa Khayaal thaa milaa nahii.n}
\singers{Iftikhar Imam Siddiqui}
वो ख़्वाब था बिखर गया ख़याल था मिला नहीं
मगर ऐ दिल को क्या हुआ, क्यों बुझ गया पता नहीं
हर एक दिन उदास दिन तमाम शब उदासियाँ
किसी से क्या बिछड़ गये कि जैसे कुछ बचा नहीं
वो साथ था तो मंज़िलें नज़र नज़र चिराग़ थीं
क़दम क़दम सफ़र में अब कोई भी लब दुआ नहीं
हम अपने इस मिज़ाज में कहीं भी घर न हो सके
किसी से हम मिले नहीं किसी से दिल मिला नहीं
है शोर-सा तरफ़ तरफ़ कि सरहदों की जंग में
ज़मीं पे आदमी नहीं फ़लक पे क्या ख़ुदा नहीं