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\stitle{tere qariib rahuu.N yaa ki duur jaauu.N mai.n}
\singers{Iftikhar Imam Siddiqui}
तेरे क़रीब रहूँ या कि दूर जाऊँ मैं
है दिल का एक ही आलम तुझी को चाहूँ मैं
मैं जानता हूँ वो रखता है चाहतें कितनी
मगर ये बात उसे किस तरह बताऊँ मैं
जो चुप रहा तो समझेगा बदगुमाँ मुझे
बुरा भला ही सही कुछ तो बोल आऊँ मैं
फिर इस के बाद त'अल्लुक़ में फ़ासले होंगे
मुझे सँभाल के रखना बिछड़ न जाऊँ मैं
मुहब्बतों की परख का यही तो रास्ता है
तेरी तलाश में निकलूँ तुझे न पाऊं मैं