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% insha04.s isongs output
\stitle{"Insha" jii uTho ab kuuch karo is shahar me.n jii kaa lagaanaa kyaa}
\singers{Insha Allah Khan Insha #4}



"ईन्श" जी उठो अब कूच करो इस शहर में जी का लगाना क्या
वहशी को सुकूँ से क्या मतलब जोगी का नगर में ठिकाना क्या

%[vahashii = wild; sukuu.N = contentment]

इस दिल के दरीदा-दामन को देखो तो सही, सोचो तो सही
जिस झोली में सौ छेद हुए उस झोली को फैलाना क्या

%[dariidaa-daaman = torn clothing]

शब बिती चाँद भी डूब गया ज़ंजीर पड़ी दरवाज़े में
क्यों देर गये घर आये हो सजानी से करोगे बहाना क्या

%[shab = night]

उस हुस्न के सचे मोती को हम देख सकें पर छू न सकें
जिसे देख सकें पर छू न सकें वो दौलत क्या वो ख़ज़ाना क्या

उस को भी जला दुखते हुए मन इक शोला लाल भभुखा बन
यूँ आँसू बन बह जाना क्या यूँ माटी में मिल जाना क्या

जब शहर के लोग न रस्ता देखें क्यों बन में न जा बिस्राम करे
दीवानों की-सी न बात करे तो और करे दीवाना क्या

%[ban = jungle; bisraam = rest/relaxation]