% iqbal03.s isongs output
\stitle{Khird ke paas Khabar ke siwaa kuchh aur nahii.n}
\lyrics{Allama Iqbal}
\singers{Allama Iqbal}
ख़िर्द के पास ख़बर के सिवा कुछ और नहीं
तेरा इलाज नज़र के सिवा कुछ और नहीं
%[Kird = dimaaG]
हर मुक़ाम से आगे मुक़ाम है तेरा
हयात ज़ौक़-ए-सफ़र के सिवा कुछ और नहीं
रंगों में गर्दिश-ए-ख़ूँ है अगर तो क्या हासिल
हयात सोज़-ए-जिगर के सिवा कुछ और नहीं
उरूस-ए-लाला मुनासिब नहीं है मुझसे हिजाब
कि मैं नसीम-ए-सहर के सिवा कुछ और नहीं
जिसे क़साद समझते हैं ताजरन-ए-फ़िरंग
वो शय मता-ए-हुनर के सिवा क्चुह्ह और नहीं
गिराँ_बहा है तो हिफ़्ज़-ए-ख़ुदी से है वर्ना
गौहर में आब-ए-गौहर के सिवा कुछ और नहीं
%[giraa.N_bahaa = precious; hifz-e-Kudi = preservation of self]