% iqbal04.s isongs output
\stitle{ham mashriq ke musalamaano.n kaa dil maGrib me.n jaa aTakaa hai}
\lyrics{Allama Iqbal}
\singers{Allama Iqbal}
हम मश्रिक़ के मुसलमानों का दिल मग़्रिब में जा अटका है
वहाँ कुंतर सब बिल्लोरी है, यहाँ एक पुराना मटका है
%[kuntar = glass; billori = crystal]
इस दौर में सब मिट जाएंगे, हाँ बाक़ी वो रह जाएगा
जो क़ायम अपनी राह पे है, और पक्का अपनी हट का है
%[haT = maqsad]
अए शैख़-ओ-ब्रह्मन सुनते हो क्या अह्ल-ए-बसीरत कहते हैं
गर्दों ने कितनी बुलंदी से उन क़ौमों को दे पटका है
%[ahl-e-basiirat = witnesses; gardo.n = storms]