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\stitle{yahii haalaat ibtadaa se rahe}
\lyrics{Javed Akhtar}
\singers{Javed Akhtar}
यही हालात इब्तदा से रहे
लोग हमसे ख़फ़ा ख़फ़ा से रहे
बेवफ़ा तुम कभी न थे लेकिन
ये भी सच है कि बेवफ़ा से रहे
इन चिराग़ों में तेल ही कम था
क्यों गिला फिर हमें हवा से रहे
बहस, शत्रंज शेर मौसीक़ी
तुम नहीं रहे तो ये दिलासे रहे
उसके बंदों को देखकर कहिये
हमको उम्मीद क्या ख़ुदा से रहे
ज़िंदगी की शराब माँगते हो
हम को देखो कि पी के प्यासे रहे