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\stitle{har Khushii me.n koii kamii sii hai}
\lyrics{Javed Akhtar}
\singers{Javed Akhtar}
हर ख़ुशी में कोई कमी सी है
हँसती आँखों में भी नमी सी है
दिन भी चुप चाप सर झुकाये था
रात की नफ़्ज़ भी थमी सी है
किसको समझाएँ किसकी बात नहीं
ज़हन और दिल में फिर ठनी सी है
ख़्वाब था या ग़ुबार था कोई
गर्द इन पलकों पे जमी सी है
कह गए हम किससे दिल की बात
शहर में एक सनसनी सी है
हसरतें राख हो गैइं लेकिन
आग अब भी कहीं दबी सी है